जिन्दगी के सफर से, बस इतना ही सबक सीखा है । सहारा कोई कोई ही देता है, धक्का देने को हर शख्स तैयार बैठा है... तू रूठी रूठी सी लगती है कोई तरकीब बता मनाने की , मैं ज़िन्दगी गिरवी रख दूंगा ; तू क़ीमत बता मुस्कुराने की..। दिलो से खेलना हमें भी आता हे | पर जिस खेल में खिलौना टूट जाए, वो खेल हमें पसंद नही.. मैं हँसता हूँ को बस अपने ग़म छिपाने के लिए अौर लोग देख के कहते है काश हम भी इसके जैसे होते.... ना मेरा प्यार कम हुआ, ना उनकी नफरत अपना अपना फर्ज था दोनों अदा हमने तो उस शहर में भी किया है इन्तजार तेरा जहाँ मोहब्बत का कोई रिवाज न था। जिस घाव से खून नहीं निकलता समज लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है...!! इश्क़ वो नहीं जो तुझे मेरा कर दे, इश्क़ वो है जो तुझे किसी और का ना होने दे ।। बहुत जी चुके उनके लिए जो मेरे लिए सबकुछ है, अब जीना है उनके लिए जिनके लिए में सबकुछ हूँ.. तेरे ज़िक्र भर से हो जाती है मुलाक़ात जैसे, तेरे नाम से भी इस क़दर इश्क़ है मुझ को.. अक्सर लोग प्यार में कसमें खाते हैं.... पर जो कसमों का मोहताज हो... वो प्यार कैसा... किस तरह खत्म करेँ उन से रिश्ता..!! जिन्हे सिर्फ सोचते ही सारी कायनात भूल जाते. आज़ाद कर दूंगा तुमको अपनी मोहब्बत की कैद से, करे जो हमसे बेहतर तुम्हारी कदर,पहले वो शख्स तो ढूंढो... जुदाई हो अगर लम्बी तो अपने रूठ जाते हैं... बहुत ज्यादा परखने से भी रिश्ते टूट जाते हैं| ना जाने कितने दर्द समेटे जिगर में अपने, चली जा रही है जिंदगी दबे पाँव हौले हौले… मेरी गलती क्या हे या तो ये मुझे बता दे या तो तू मेरा हे ये सारी दुनिया को बता दे मुझे ये ग़म नहीं की वो हो न सका मेरा, ख़ुदा की रहमत है मेरा दिल आज भी उसी का है ... मैंने अपनी हर एक सांस तुम्हारी गुलाम कर रखी है; लोगो में ये ज़िन्दगी बदनाम कर रखी है; अब ये आइना भी किस काम का मेरे; मैंने तो अपनी परछाई भी तुम्हारे नाम कर रखी है। कुछ इस तरह वो मेरी बातों का ज़िक्र किया करती है.... सुना है वो आज भी मेरीफिक्र किया करती है....!! वो साथ थे हमारे या हम पास थे उनके वो जिंदगी के कुछ दिन या जिंदगी थी कुछ दिन खुदा ने जानबुझ के नहीं लिखा उसे मेरी किस्मत में.... के सारे जहाँ की खुशियाँ एक ही शख्स को कैसे दे दूँ...!!!! हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है; जिस तरफ़ भी चल पड़ेगे, रास्ता हो जाएगा।

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